बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

तुम्हारा प्रेम



मैं खोजता उन सब में
तुम्हारा प्रेम
जाने - अनजाने
तुम्हारी नक़ल , कोई प्रतिकृति मिले
तो पा लूँ.....
उसे -
जो हमने साथ - साथ महसूस किया था
एक लम्बी बारिश के गुजर जाने के बाद
शीशम के उस छोटे पेड़ के नीचे
पानी की नन्ही बूंदें
जिसकी पत्तियों पर टिकी थीं 
और एक हौले - से झटके के साथ
भीग गए थे हम
उस रात ....
वो पानी जो हमारी आँखों में आ बसा है
हरी नन्ही पत्तियौं चुभतीं हैं
मीठे ख्वाबों में
जिन्हें अब हम अलग - अलग देखतें हैं
मुझे यकींन है की
जैसे मैं खोजता हूँ
तुम भी खोजती होगी
वो ही नन्ही पत्तियां , पानी की बूदें ,
वो ही रात .....
जैसे मैं देखता हूँ -
तुम भी देखती होगी
उस रात के बाद हर कहीं
वो ही सांचा प्यार का
जैसे मैं महसूस करता हूँ
तुम भी करती होगी
वो ही पल जो हममे उपजा था साथ-साथ
की नहीं दे सके एक - दूसरे को
आजतक ........
अब भी मैं हाथ लगा के देखता हूँ
नाक के पास
कि इनमें वो ही गर्मी है या नहीं
तुम भी ऐसा करती होगी
बारिश में भीगकर
कि इनमें वो ही सिहरन है कि नहीं ......


२३/१२/२००४
देहरादून

शनिवार, 16 अक्टूबर 2010

मुक्ति की सारी आकान्छाएं
आज क्यूँ मारे जाने की
देहलीज़ पर खड़ी हैं
क्या फिर कोई रंग लाल होगा ?

शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

तुम्हारी याद में


FORGETTING YOU (water colour on paper - A4)





तुम्हारी याद में - 
तुमसे मैं क्या कहूँ ?
और किसी से भी मैं क्या कहूँ ?
तुम्हारी याद में - 
तुम बोलती हो सच बताऊँ - 
मैं कुछ भी नहीं सुनता 
तुम्हारी याद में - 
की मेरे अन्दर जो रोज़ 
जन्म लेता और मरता है 
उसका तवारुफ़
तुम्हारे अन्दर जो रोज़ 
जीता और मरता है 
उससे कितना कम या ज्यादा है ?
तुम्हारी याद में - 
वो ट्रेन जो मेरे दिल की पटरियों पर 
धर्धरातेय हुए चलती है 
इक दिन में कितना डीज़ल पीती है ?
तुम्हारी याद में - 
मैं कल फिर बिरला मंदिर की सीडियां 
गिनता हुआ चढ़ गया 
तुम्हारी याद में - 
आ के बालकनी में - शाम को 
एक सिगरेट सुलगाई 
तो सिर के ऊपर लटकते बल्ब की सारी बिजली 
हवा में तैरने लगी 
तुम्हारी याद में - 
सपने में अर्ध्नारिस्वर आये 
और मुझसे अपने को पूरा करने का 
वर मागने लगे !!
तुम्हारी याद में - 
मैंने उलटे जूते पहने 
और निकल पड़ा 
जिन्दगी का सफ़र तय करने के वास्ते !
तुम्हारी याद में - 
वही जिन्न इक बार फिर बोतल से बाहर आया 
और कहने लगा - 
"बोलो तो एक दुकान खुलवा दूँ - यादों की"
तुम्हारी याद में - 
इतिहास दफन हो गया 
मेरे मोबाइल के इन्बोक्स  में 
की - 
"तुम्हरी याद आती है -- बहोत " !!!